काबुल, अफगानिस्तान | 1 अक्टूबर, 2025 अफगानिस्तान में तालिबान शासन के आदेश पर इंटरनेट और मोबाइल फोन सेवाओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से देश में अभूतपूर्व संचार संकट पैदा हो गया है। सोमवार को शुरू हुए इस 'कुल ब्लैकआउट' ने 43 मिलियन आबादी वाले इस देश को लगभग 'अंधे' बना दिया है, जहां फ्लाइट्स रद्द हो गईं, बैंकिंग सेवाएं ठप हो गईं और दैनिक जीवन अस्त-व्यस्त हो गया। मानवाधिकार संगठनों ने इसे 'अमानवीय' बताते हुए तालिबान से तत्काल सेवाएं बहाल करने की मांग की है।
तालिबान ने 'अनैतिक गतिविधियों' को रोकने के नाम पर फाइबर-ऑप्टिक नेटवर्क को काटने का आदेश दिया, जिसका असर मोबाइल डेटा, इंटरनेट और फिक्स्ड-लाइन टेलीफोन सेवाओं पर पड़ा। इंटरनेट मॉनिटरिंग संगठन नेटब्लॉक्स के अनुसार, सोमवार को चरणबद्ध तरीके से कनेक्टिविटी 1% से भी नीचे गिर गई। काबुल में रहने वाले एक दुकानदार नजीबुल्लाह ने एएफपी को बताया, "हमारे सभी कारोबार मोबाइल पर निर्भर थे। अब हम अंधे हो गए हैं, बिना फोन और इंटरनेट के।"
यह प्रतिबंध 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद का सबसे बड़ा और समन्वित संचार ब्लैकआउट है। इससे पहले, सितंबर के मध्य में कई प्रांतों में हाई-स्पीड इंटरनेट काटा गया था, लेकिन अब पूरे देश में 3G और 4G सेवाएं बंद कर केवल पुरानी 2G तक सीमित कर दिया गया है। प्राइवेट चैनल टोलो न्यूज ने दर्शकों को चेतावनी दी थी कि एक सप्ताह के अंदर ये सेवाएं बंद हो जाएंगी।
यह ब्लैकआउट अफगानिस्तान की आर्थिक और मानवीय संकट को और गहरा कर रहा है। हवाई अड्डों पर उड़ानें रद्द हो गईं, क्योंकि संचार व्यवस्था ठप होने से एयर ट्रैफिक कंट्रोल प्रभावित हुआ। बैंकिंग और पेमेंट सिस्टम ठप होने से छोटे कारोबारियों को भारी नुकसान हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र की सहायता मिशन (यूएनएएमए) ने तालिबान से अपील की है कि सेवाएं तुरंत बहाल की जाएं, क्योंकि यह आर्थिक स्थिरता और मानवीय सहायता को प्रभावित कर रहा है।
महिलाओं और लड़कियों पर इसका सबसे बुरा असर पड़ रहा है। ऑनलाइन शिक्षा, जो तालिबान के प्रतिबंधों के बावजूद उनकी शिक्षा का एकमात्र स्रोत थी, अब पूरी तरह बंद हो गई है। फ्रीलांसिंग से जुड़े युवा, जो वैश्विक क्लाइंट्स के लिए काम करते थे, अब बेरोजगार हो गए हैं। ह्यूमन राइट्स वॉच की शोधकर्ता फरेश्ता अब्बासी ने कहा, "यह प्रतिबंध लाखों अफगानों को शिक्षा, स्वास्थ्य और सूचना के मौलिक अधिकार से वंचित कर रहा है। तालिबान को नैतिकता के बहाने को छोड़कर इसके अपरिवर्तनीय नुकसान पर ध्यान देना चाहिए।"
तालिबान ने अभी तक आधिकारिक कारण स्पष्ट नहीं किया है, लेकिन स्रोतों के अनुसार, यह 'अनैतिकता' (वाइस) को रोकने का अभियान है। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि मोबाइल सेवाएं जल्द बहाल हो सकती हैं, लेकिन केवल कम क्षमता वाली 2G के साथ। 1990 के दशक के तालिबान शासन की यादें ताजा हो गई हैं, जब टीवी, सैटेलाइट और अन्य संचार माध्यमों पर प्रतिबंध लगाया गया था।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने कड़ी निंदा की है। अमेरिका, यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र ने तालिबान से सेवाएं बहाल करने की मांग की है। एल जजीरा और सीएनएन जैसे मीडिया हाउस अपने काबुल ब्यूरो से संपर्क नहीं कर पा रहे। अफगान एम्बेसी स्रोतों ने पुष्टि की कि यह सरकारी ब्लॉकेज है।
अफगानिस्तान के भविष्य पर सवाल है जहां पहले से ही मानवीय संकट गहरा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि प्रतिबंध अनिश्चितकाल के लिए रहा, तो आर्थिक पतन और सामाजिक अलगाव और बढ़ेगा। अफगान लोग अब उम्मीद कर रहे हैं कि वैश्विक दबाव से सेवाएं जल्द बहाल हों।